Saturday, December 15, 2012

यूं चलते फिरते रहूँ मैं,
जब तुम हमसे टकराओगे ,
दिल की बात कहोगे पर,
तुम हमसे कह नहीं पाओगे,

रोते हुए जब देखोगे ,
तो भी दिल तुम्हारा रोएगा,
तुम अपना हाथ बढ़ाओगे ,
पर आंसू न पोछ पाओगे,

जब तुमसे कुछ कहूँगा मैं,
तो अनसुना तुम करोगे,
मेरी बात सुन्ना चाहोगे,
पर अफ़सोस …. सुन न पाओगे,

जब काग़ज़ पर मद – होशी से,
की तुम जो मेरा नाम लिखोगे ,
उस नाम को छूना चाहोगे,
पर लिखकर तुम मिटाओगे,



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