Saturday, September 20, 2014

कुछ सपने अपने साथ चले

एक उम्र बिता दी हमने तुमने
इस जीवन की आपा धापी में

कुछ दोस्त मिले इन राहो में
तो कुछ अपनों को खोया हमने

कुछ सपने अपने साथ चले
तो कुछ टूटे जीवन की राहो में

कुछ तनहा तनहा रात कटी
कुछ कटी दिन के उजियारो में

कुछ रिश्ते अपने साथ चले
तो कुछ अपनों ने ठुकराया भी

बुरे वक़्त पे जब सब हुए किनारे
तो कुछ गैरो ने साथ निभाया भी

मिल ही जाते है हमको अक्सर
कुछ सच्चे साथ निभाने  वाले

 हो सुख चाहे दुःख देते है साथ
हम सब की जीवन की राहो पर

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आलोक पाण्डेय

















Saturday, September 13, 2014

बरसो बाद

बरसो बाद आज वो जो मिली हमसे
आँखे उसकी जी भर के रोयी
करने थे बहुत शिकवे -गीले
उस से पहले वो हमे गले लगा के रोयी
अब कैसे कह दू मै उसे बेवफा
वो अपनी मजबूरिया बता के रोयी
नम हो गयी मेरी भी आँखे तब
वो सिर्फ मेरी है ये बता के रोयी
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आलोक 

परेशान ज़िन्दगी

औरो से क्या मिला मुझे उस का गम नहीं
है अपनों की वजह से परेशान ज़िन्दगी
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आलोक 

Tuesday, September 9, 2014

तुम आओ तो एक बार सही

सारे सपने अपने हो जायेंगे
तुम आओ तो एक बार सही

कुछ मीठी मीठी बाते होंगी
कुछ खट्टी मीठी यादे होंगी

हर खुशिया तब अपनी होंगी
तुम आओ तो एक बार सही

हर शाम सुहानी होगी तब
जब तुम करीब आ जाओगी

राते झिलमिल चाँद सितारे
खुशिया होंगी बस आँगन में

भूल के सारे शिकवे गिले
तुम आओ तो एक बार सही

मेरा मन जितना व्याकुल है
तुम भी उतनी है तड्पी होगी

एक लिए मिलन की आस पे
कैसे कितनी राते काटे होंगी

अब लौट भी आ तू ये हमदम
बिन तेरे है सब कुछ सुना सुना

एक नयी सुबह होगी फिर से
तुम आओ तो एक बार सही
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@आलोक पाण्डेय



Monday, September 8, 2014

बेख़ौफ़ होके करना है

बेख़ौफ़ होके करना है तो आ मेरे सीने पे वार कर
यु दोस्तों से मिलके मेरे मेरी कमजोरिया ना पूछ
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@ आलोक