Saturday, February 2, 2013

मोह्हबत के कई रूप है बस इस बात को मान लिया

वो बीती हुई शाम अपने साथ यादो को भी ले गयी 
वो आशू में भीगे हुई एक दास्ताँ थी वो कह गयी 
बाया करता हु अपने लफ्जों में अपने दास्ताँ की एक कहानी 
परियो सी एक लड़की की दर्द भरी कहानी 
ये दांस्ता थी एक मासूम परी की जिसपे प्यार का साया था 
वो टूट  गयी थी तबसे जबसे उसे किसी ने ठुकराया था 
खामोश लबो पे एक सन्नाटा सा छा जाता है 
अस्को से भीगे हुए चेहरे से जब मै  जुल्फों को हटाता था 
मुस्कराती थी वो हरदम ,हरदम वो मुस्कराती थी 
मैंने पूछा था दर्द उसका वो नग्मे गुनगुनाती थी 
जब भीग जाती थी पलके किसी को याद करके 
देखती थी मेरी 'तरफ दिल के टुकडे चार कर के 
मै थामना जो कभी चाहा उसे वो दूर हट जाती थी 
मुझे अपनी दूरियों का अपने एहसास भी दिखाती थी 
बेबस थी वो दिल के हाथो और इस दुनिया से अनाजन थी 
नफरत वो कैसे करती ती वो तो सिर्फ प्यार की पहचान थी 
मैनी छोड़ा उसे कुछ पल अकेले के तन्हाई में 
दिल ने रोका मुझे बहुत पर चल दिया दे के जुदाई मै 
जब लौटा मै वापस वो फिर से मुस्करायी थी 
शायद किसी के प्यार की चमक उसकी आँखों में उतर आई थी 
उसने भर के बाहों में मुझे प्यार से देखा था 
जब मैंने उस से उसकी ख़ुशी का राज पूछा था 
शरमाई थी वो कुछ और अपने सर को धीरे से झुकाया था 
बताया उसने की उसका दिल फिर किसी पे आया था 
मै खुश था और उसकी खुशियों में मुस्कराया था 
फिर क्यो उठा ये दर्द दिल में मै इसको समझ ना पाया था 
मै फिर चल दिया उसे छोडके उसको उसकी दुनिया मे
मै तनहा सा रह गया इस बात को भी समझ न पाया था 
दूर था मै उससे पर मै उसकी यादो से दूर नहीं था 
शायद पहली बार मै उसके खुशियों से खुश नहीं था 
बीत गयी वो यादे और फिर मै अपने में खो गया 
पर ज़िन्दगी एक मोड़ पे उनसे मुलाकात फिर से हो गयी 
मै देख रहा था उसको वो मुझको देख रही थी 
मैंने कुछ भी ना पूछा उससे पर आँखों में बात हो गयी 
ठुकराया था आज उसने किसी को जाने क्या बात हो गयी 
जैसे वो हर गम से हर ख़ुशी से अनजान हो गयी 
कुछ न कहा मैंने उससे फिर दोस्ती का हाथ थाम लिया 
मोह्हबत के कई रूप है बस इस बात को मान लिया 
ना चाहत थी किसी और की ना आरजू थी किसी के प्यार की 
बस अब वो मेरे साथ थी अब मुझे ना किसी की तलाश थी 

ऐसा रिश्ता चाहते है

एक एक कर के रात ऐसे ही 
बीत जाती है 
नहीं मिल पा रहा रास्ता 
यंहा से निकल जाने का 
और ज़िन्दगी ऐसे ही 
परेशानियों में बीतती जाती है 
सोते समय होती है फिकर 
दिन के काम की 
और दिन की रोशनी रात के 
ख्याल में बीत जाती है 
नहीं रहता है अब ख्याल अपने आप का 
और दुनिया फिर भी हमे ही 
मतलबी कह जाती है 
सब कुछ सह जाता हु
दुनिया की महफ़िलो में 
और अकेले में तन्हाई 
दिल में घर कर जाती है 
हर नए दिन का हमे होता था इंतजार 
अब हर नयी सुबह नया दुःख दे जाती है 
बहुत प्यार करते थे हम हमारी नीद से 
पर अब वो भी 
आँखों से दूर चली जाती है 
लफ्जो का जो मोहताज न हो 
ऐसा रिश्ता चाहते है 
पर किस्मत इस ख्वाहिस को सुन कर 
खामोश हो जाती है