Saturday, December 15, 2012

कुछ पल तो मुझे नसीब मे दे

शायद मेरी ज़िन्दगी लम्बी नही 
पर छोटी ज़िन्दगी में देखे कई सपने हैं 
कुछ हकीकत बन गए तो कुछ अभी भी सपने हैं 
तमन्ना उन सपनों को पाने की अभी भी है मुझ में 
बस ज़िन्दगी से इतनी सी गुज़ारिश है 
मुझे कुछ पल तो और नसीब में दे
चाह जो है मेरी उसकी राह से मुझे दूर ना करे
मुझे मेरी चाह के साथ कुछ लम्हा तो और दे दे
ये एहसान मैं इसका भुला न पाउँगा
शायद अगले जन्म कुछ ज़िन्दगी साथ में लाऊंगा
अपने हसरतों से कुछ खुशियाँ उन्हें दे जाऊंगा
शायद उस बूढ़े के बुढ़ापे का सहारा बन जाऊंगा
ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ पल तो और नसीब में दे
थोड़ी खुशियाँ तो उनके नाम करने दे
मेरी खुशियों के खातिर जिन्होंने अपनी खुशियाँ है लुटा दी
उनके खुशियों की मोतियों को तो पिरोने दे
धुप में पेड़ बन कर दिया जिन्होंने मुझे छावं
उनके बुढ़ापे का छावं मुझे बनने दे
ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ पल तो और नसीब में दे
उनकी सुनी दुनियां में मुझे कुछ रंग तो भरने दे
बड़े भरोसे से उन्होंने है मुझे पाला
उनके भरोसे पर मुझे तो उतरने दे
बड़ा एहसान होगा तेरा ऐ मेरी ज़िन्दगी
उनके आँखों में बसे आंसुओं को मोतियों में तो बदलने दे
ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ पल तो और नसीब में दे
उनकी खोयी दुनिया को इक बार तो बसाने दे
कहते हैं किसी ने भगवान को नही देखा
जिसने है देखा बस मूर्त ही है देखा
पर मैं ने तो जीता जगता भगवान है देखा
मुझे उनकी चरणों की सेवा तो करने दे
ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ पल तो और नसीब में दे
उनके क़दमों में पड़े छालों को तो दूर करने दे
उन्हें अपना होने का एहसास तो दिलाने दे
शायद मेरी ज़िन्दगी लम्बी नही
पर छोटी सी ज़िन्दगी में देखे कई सपने हैं
कुछ हकीकत बन गए तो कुछ अभी भी सपने हैं
तमन्ना उन सपनों को पाने की अभी भी है मुझ मे
बस इस ज़िन्दगी से इतनी गुजारिश है
कुछ पल तो मुझे नसीब मे दे
कुछ पल तो मुझे नसीब मे दे
कुछ पल तो मुझे नसीब मे दे

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