Saturday, December 15, 2012

माँ

ये कुछ लाईने मैं अपनी माँ के लिए लिखा हूँ, वैसे माँ को याद करने को लिए कोई दिन नहीं होता है माँ तो हर पल हमारे दिल में रहती है 
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मुझ को जीवन देना ,यह तेरा उपहार है माँ 
मेरी हर एक साँस ,तेरे नाम है माँ 
क्या बोलू हर पल क्या मन करता है 
बस तेरे साथ वो बचपन के दिन जीने को मन करता है 
वो रातो में नीद न आने पे लोरिय सुना के सुलाना 
वो मेरे सारी गलतियों पे पाप
ा से बचाना
स्कूल जाना तो कभी मुझको मंजूर नहीं था
पर पापा के .पापा के सामने तो मेरे आत्मा भी कापती थी
वो तो तू थी समझाती .स्कूल नहीं जाओगे .
तो पापा के जैसे बड़े कैसे बन पाओगे
मै सोचता था एक दिन जब पापा जैसा बड़ा बन जाऊंगा
मै तब पापा के सामने निडर खड़ा हो जाऊंगा
मुझको क्या पता था ,पापा जैसे बनतो जाऊंगा
पर वो माँ की प्यारी ममता ,
पापा का दुलार कहा से लाऊंगा
लो अब हो गया बड़ा मै ,बिलकुल पापा जैसा
पर माँ तेरे जैसा कभी नहीं बन पाउँगा
सच पास जो तू होती सिने से लग जाता
तेरे बिन अब एक पल रहा नहीं जाता
जिस आंचल के साये में रह के आज इस लायक बन पाया
उस माँ से ही मिलने को मै अब तरस जाता
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..हो सकता है जो लो घर से दूर रहते हो ,जॉब या किसी मज़बूरी की वजह से वो सब लोग माँ से मिलने के लिए बेक़रार रहते होंगे ,चलो दिवाली के बहाने माँ के दर्शन तो
हो जायेंगे ...आज भी माँ पहले हमे खिलाती है ,थोडा देर से घर आये तो उसे चिंता बहुत सताती है ,जब हम सो जाते है तो एक बार चेहरा देख के खुद भी खा के सो जाती है ..माँ को नमन ** (आलोक )

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