मैंने तो चाहा प्यार और बस दिल में छोटा सा कोना
मैंने कब चाहा पूजो और मंदिर में बिठाओ तुम
मुझे पिला के ज़रा-सा क्या गया कोई
मेरे नसीब को आकर जगा गया कोई
मेरे क़रीब से होकर गुज़र गई दुनिया
मेरी निगाह में लेकिन समा गया कोई
अब इसलिये भी कोई ज़्यादा नही रुकता है यहाँ
लोग कहते है मेरे दिल पे तेरा साया है
तुम्हे भी याद नहीं और मै भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीन था मगर फिजूल गया
मुद्दते गुजरी तेरी याद भी न आई हमे,
और हम भूल गए हो तुम्हे ऐसा भी नहीं
मैंने कब चाहा पूजो और मंदिर में बिठाओ तुम
मुझे पिला के ज़रा-सा क्या गया कोई
मेरे नसीब को आकर जगा गया कोई
मेरे क़रीब से होकर गुज़र गई दुनिया
मेरी निगाह में लेकिन समा गया कोई
अब इसलिये भी कोई ज़्यादा नही रुकता है यहाँ
लोग कहते है मेरे दिल पे तेरा साया है
तुम्हे भी याद नहीं और मै भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीन था मगर फिजूल गया
मुद्दते गुजरी तेरी याद भी न आई हमे,
और हम भूल गए हो तुम्हे ऐसा भी नहीं
No comments:
Post a Comment