Monday, January 7, 2013

इतना अनमोल था की खरीद ना सके कोई हमको 
हैरान हू की तेरे हाथो बिका तो बिका कैसे


चाहु तो एक निगाह में खरीद लू उसको ♥
जिसको नाज़ बहुत है की बिकता नहीं हु मै

हमें लिख कर कहीं महफूज़ कर लो,
तुम्हारी याददाश्त से निकलते जा रहे हैं हम...

उनसे नज़रें मिली थीं बस इतना याद है,
छोटी सी वारदात कहाँ से कहाँ ले गई मुझे.



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