Saturday, September 20, 2014

कुछ सपने अपने साथ चले

एक उम्र बिता दी हमने तुमने
इस जीवन की आपा धापी में

कुछ दोस्त मिले इन राहो में
तो कुछ अपनों को खोया हमने

कुछ सपने अपने साथ चले
तो कुछ टूटे जीवन की राहो में

कुछ तनहा तनहा रात कटी
कुछ कटी दिन के उजियारो में

कुछ रिश्ते अपने साथ चले
तो कुछ अपनों ने ठुकराया भी

बुरे वक़्त पे जब सब हुए किनारे
तो कुछ गैरो ने साथ निभाया भी

मिल ही जाते है हमको अक्सर
कुछ सच्चे साथ निभाने  वाले

 हो सुख चाहे दुःख देते है साथ
हम सब की जीवन की राहो पर

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आलोक पाण्डेय

















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