बातो ही बातो में
कितनी बातो को
अनसुना कर जाते हो तुम
आवाज़ बहुत दी तुम्हे
शायद सुन के
अनसुना कर जाते हो तुम
हम तुम्हे याद आये
ऐसी बातो को भी
छुपा जाते हो तुम
पर सच कहु बहुत याद आते हो तुम
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आलोक
कितनी बातो को
अनसुना कर जाते हो तुम
आवाज़ बहुत दी तुम्हे
शायद सुन के
अनसुना कर जाते हो तुम
हम तुम्हे याद आये
ऐसी बातो को भी
छुपा जाते हो तुम
पर सच कहु बहुत याद आते हो तुम
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आलोक
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