मैंने कभी उन किताबो के पन्ने पलट के नहीं देखे
जिस में तुम्हारे चले जाने का एक जिक्र लिखा था
तुम चली गयी और अपनी कहानी मेरे पास छोड़ गयी
तुम्हारी कुछ पहेलिया ,कुछ अनछुये से पहलू
यु ही तुम्हारी उन लिखी किताबो में रह गयी
आज जब मिला मौका उन किताबो को पलटने का
बस पूछो ना वो सारी यादे फिर से ताज़ा हो गयी
कास वक़्त से पहले तुम्हे रोक लेता तो शायद आज
यु तन्हाईयो का साथी ना होता
इस दिल को अभी भी यकीं नहीं है तुम्हारे चले जाने का
तुम्हारे सुबह सुबह वो चंचल से मुस्करहट
तुम्हारी वो बच्चो जैसे अटखेलिया
आज भी मुझे गुदगुदाती है ,वो सारी बाते याद दिलाती है
कैसे कहु की अब हर पल सिर्फ तुम्हारी याद सताती है
शाम को ऑफिस से देर तलक लौटने के बाद
जब शाम को दरवाजे पे तुम्हे खड़ा पता था
मनो सारा दर्द थकान तुम्हे देखने के बाद
यु कुछ प्यार बन के उमड़ जाता था
सारी उलझाने भूल के तुम्हारे बाहों में सुकून मिलता था
वो प्यार वो दुलार कुछ माँ की ममता जैसा था
मेरी ज़िन्दगी के वो खुबसूरत पल कास कोई लौटा दे
अब ये कदम बिन तुम्हारे बढते नहीं ,कुछ रुक सा गया हु
कुछ थम सा गया हु ,शायद तुम बिन अब
सही से चल भी न पाऊ ,...............बस इतना कहना है की बिन तेरे मै कुछ भी नहीं
nice lines :)
ReplyDeletecheck my Poem... http://omkumarom.blogspot.in/2012/11/sirf-tum.html