कुछ लोग बहुत ही ज़ल्दी दिल में समां जाते है ,जब तक उन्हें हम समझते है वो हमे फिर से तनहा छोर जाते है .............( आलोक )
भटकती फिरता रहता हु तुम्हारी तलाश में
बंजारों सा ,
हर रोज़ सुबह शाम तुम्हारी एक आहट के लिए
तुम्हारी तलाश में सुबह ज़ल्दी उठता हु की
जाने किस घड़ी तुम मिल जाओ
पर मुझे न यकीन था
तुम अपने आने की वो आहट
कुछ यु छीन के ले जाओगे
भटकती फिरता रहता हु तुम्हारी तलाश में
बंजारों सा ,
हर रोज़ सुबह शाम तुम्हारी एक आहट के लिए
तुम्हारी तलाश में सुबह ज़ल्दी उठता हु की
जाने किस घड़ी तुम मिल जाओ
पर मुझे न यकीन था
तुम अपने आने की वो आहट
कुछ यु छीन के ले जाओगे
मुझे एक अनजान मोड़ पे
यु तनहा अकेला छोर जाओगी
तुम्हारी यादों का इक घना जंगल
बसा है मेरे भीतर कहीं...
अब इस जंगल में शायद
कोई गूज ना उठेगी
बस यु यकी ना था
की तुम भी
मुझे यु सताओगी
यु तन्हा अकेले छोड़ जाओगी
यु तनहा अकेला छोर जाओगी
तुम्हारी यादों का इक घना जंगल
बसा है मेरे भीतर कहीं...
अब इस जंगल में शायद
कोई गूज ना उठेगी
बस यु यकी ना था
की तुम भी
मुझे यु सताओगी
यु तन्हा अकेले छोड़ जाओगी
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