एक एक कर के रात ऐसे ही
बीत जाती है
नहीं मिल पा रहा रास्ता
यंहा से निकल जाने का
और ज़िन्दगी ऐसे ही
परेशानियों में बीतती जाती है
सोते समय होती है फिकर
दिन के काम की
और दिन की रोशनी रात के
ख्याल में बीत जाती है
नहीं रहता है अब ख्याल अपने आप का
और दुनिया फिर भी हमे ही
मतलबी कह जाती है
सब कुछ सह जाता हु
दुनिया की महफ़िलो में
और अकेले में तन्हाई
दिल में घर कर जाती है
हर नए दिन का हमे होता था इंतजार
अब हर नयी सुबह नया दुःख दे जाती है
बहुत प्यार करते थे हम हमारी नीद से
पर अब वो भी
आँखों से दूर चली जाती है
लफ्जो का जो मोहताज न हो
ऐसा रिश्ता चाहते है
पर किस्मत इस ख्वाहिस को सुन कर
खामोश हो जाती है
बीत जाती है
नहीं मिल पा रहा रास्ता
यंहा से निकल जाने का
और ज़िन्दगी ऐसे ही
परेशानियों में बीतती जाती है
सोते समय होती है फिकर
दिन के काम की
और दिन की रोशनी रात के
ख्याल में बीत जाती है
नहीं रहता है अब ख्याल अपने आप का
और दुनिया फिर भी हमे ही
मतलबी कह जाती है
सब कुछ सह जाता हु
दुनिया की महफ़िलो में
और अकेले में तन्हाई
दिल में घर कर जाती है
हर नए दिन का हमे होता था इंतजार
अब हर नयी सुबह नया दुःख दे जाती है
बहुत प्यार करते थे हम हमारी नीद से
पर अब वो भी
आँखों से दूर चली जाती है
लफ्जो का जो मोहताज न हो
ऐसा रिश्ता चाहते है
पर किस्मत इस ख्वाहिस को सुन कर
खामोश हो जाती है
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