वो बीती हुई शाम अपने साथ यादो को भी ले गयी
वो आशू में भीगे हुई एक दास्ताँ थी वो कह गयी
बाया करता हु अपने लफ्जों में अपने दास्ताँ की एक कहानी
परियो सी एक लड़की की दर्द भरी कहानी
ये दांस्ता थी एक मासूम परी की जिसपे प्यार का साया था
वो टूट गयी थी तबसे जबसे उसे किसी ने ठुकराया था
खामोश लबो पे एक सन्नाटा सा छा जाता है
अस्को से भीगे हुए चेहरे से जब मै जुल्फों को हटाता था
मुस्कराती थी वो हरदम ,हरदम वो मुस्कराती थी
मैंने पूछा था दर्द उसका वो नग्मे गुनगुनाती थी
जब भीग जाती थी पलके किसी को याद करके
देखती थी मेरी 'तरफ दिल के टुकडे चार कर के
मै थामना जो कभी चाहा उसे वो दूर हट जाती थी
मुझे अपनी दूरियों का अपने एहसास भी दिखाती थी
बेबस थी वो दिल के हाथो और इस दुनिया से अनाजन थी
नफरत वो कैसे करती ती वो तो सिर्फ प्यार की पहचान थी
मैनी छोड़ा उसे कुछ पल अकेले के तन्हाई में
दिल ने रोका मुझे बहुत पर चल दिया दे के जुदाई मै
जब लौटा मै वापस वो फिर से मुस्करायी थी
शायद किसी के प्यार की चमक उसकी आँखों में उतर आई थी
उसने भर के बाहों में मुझे प्यार से देखा था
जब मैंने उस से उसकी ख़ुशी का राज पूछा था
शरमाई थी वो कुछ और अपने सर को धीरे से झुकाया था
बताया उसने की उसका दिल फिर किसी पे आया था
मै खुश था और उसकी खुशियों में मुस्कराया था
फिर क्यो उठा ये दर्द दिल में मै इसको समझ ना पाया था
मै फिर चल दिया उसे छोडके उसको उसकी दुनिया मे
मै तनहा सा रह गया इस बात को भी समझ न पाया था
दूर था मै उससे पर मै उसकी यादो से दूर नहीं था
शायद पहली बार मै उसके खुशियों से खुश नहीं था
बीत गयी वो यादे और फिर मै अपने में खो गया
पर ज़िन्दगी एक मोड़ पे उनसे मुलाकात फिर से हो गयी
मै देख रहा था उसको वो मुझको देख रही थी
मैंने कुछ भी ना पूछा उससे पर आँखों में बात हो गयी
ठुकराया था आज उसने किसी को जाने क्या बात हो गयी
जैसे वो हर गम से हर ख़ुशी से अनजान हो गयी
कुछ न कहा मैंने उससे फिर दोस्ती का हाथ थाम लिया
मोह्हबत के कई रूप है बस इस बात को मान लिया
ना चाहत थी किसी और की ना आरजू थी किसी के प्यार की
बस अब वो मेरे साथ थी अब मुझे ना किसी की तलाश थी
वो आशू में भीगे हुई एक दास्ताँ थी वो कह गयी
बाया करता हु अपने लफ्जों में अपने दास्ताँ की एक कहानी
परियो सी एक लड़की की दर्द भरी कहानी
ये दांस्ता थी एक मासूम परी की जिसपे प्यार का साया था
वो टूट गयी थी तबसे जबसे उसे किसी ने ठुकराया था
खामोश लबो पे एक सन्नाटा सा छा जाता है
अस्को से भीगे हुए चेहरे से जब मै जुल्फों को हटाता था
मुस्कराती थी वो हरदम ,हरदम वो मुस्कराती थी
मैंने पूछा था दर्द उसका वो नग्मे गुनगुनाती थी
जब भीग जाती थी पलके किसी को याद करके
देखती थी मेरी 'तरफ दिल के टुकडे चार कर के
मै थामना जो कभी चाहा उसे वो दूर हट जाती थी
मुझे अपनी दूरियों का अपने एहसास भी दिखाती थी
बेबस थी वो दिल के हाथो और इस दुनिया से अनाजन थी
नफरत वो कैसे करती ती वो तो सिर्फ प्यार की पहचान थी
मैनी छोड़ा उसे कुछ पल अकेले के तन्हाई में
दिल ने रोका मुझे बहुत पर चल दिया दे के जुदाई मै
जब लौटा मै वापस वो फिर से मुस्करायी थी
शायद किसी के प्यार की चमक उसकी आँखों में उतर आई थी
उसने भर के बाहों में मुझे प्यार से देखा था
जब मैंने उस से उसकी ख़ुशी का राज पूछा था
शरमाई थी वो कुछ और अपने सर को धीरे से झुकाया था
बताया उसने की उसका दिल फिर किसी पे आया था
मै खुश था और उसकी खुशियों में मुस्कराया था
फिर क्यो उठा ये दर्द दिल में मै इसको समझ ना पाया था
मै फिर चल दिया उसे छोडके उसको उसकी दुनिया मे
मै तनहा सा रह गया इस बात को भी समझ न पाया था
दूर था मै उससे पर मै उसकी यादो से दूर नहीं था
शायद पहली बार मै उसके खुशियों से खुश नहीं था
बीत गयी वो यादे और फिर मै अपने में खो गया
पर ज़िन्दगी एक मोड़ पे उनसे मुलाकात फिर से हो गयी
मै देख रहा था उसको वो मुझको देख रही थी
मैंने कुछ भी ना पूछा उससे पर आँखों में बात हो गयी
ठुकराया था आज उसने किसी को जाने क्या बात हो गयी
जैसे वो हर गम से हर ख़ुशी से अनजान हो गयी
कुछ न कहा मैंने उससे फिर दोस्ती का हाथ थाम लिया
मोह्हबत के कई रूप है बस इस बात को मान लिया
ना चाहत थी किसी और की ना आरजू थी किसी के प्यार की
बस अब वो मेरे साथ थी अब मुझे ना किसी की तलाश थी
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