Friday, August 16, 2013

वन्दे मातरम

( कुछ पंक्तिया मेरी कविता की )

अगर लड़ना ही है
तो आजा आमना सामना करले
यू कायर बन
ना छुप -छुप कर वार ( पाकिस्तान )
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बहनों के सिंदूर छीन
माताओ के लाल 
तू कायर है तू कायर था
जो छिप -२ करता वार
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अब की बार जो युद्ध हुआ
नामो निसा मिटा देंगे
अपनी भारत माता का
क्षेत्रफल हम और बढ़ा देंगे
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कुछ तो शर्म करो नेताओ
कब तक मोल लगाओ गे
जिन माँ के बेटे हुए शहीद
क्या उनके बेटे उन्हें लौटा पाओगे
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कुछ विदेशी ताकते बदल -२ के रास्ते
जाल हम पे बुन रही ,वार हमपे कर रही
उठो बढ़ो सब सही ,बना के एक टोलिया
दाग दो अब दुश्मनों के सर पे कुछ गोलिया
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अब ये समय नहीं है सोने का
ना वक़्त बचा अब रोने का
गोलियों की बोलिया ,गोलियों में दे ज़रा
नहीं तो कल की पीढि़यां, न चढ़ सकेंगी सीढि़या
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विधवाओ .माताओ के आसुवों में
तू बह जायेगा ' पाकिस्तान '
एक दिन तेरा सीना चिर उसपे लिख देंगे हिंदुस्तान

________________________ आलोक ( वन्दे मातरम )
 

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