मेरे चेहरे पे जो लिखा है वो हम छुपाये कैसे
बता एक तेरे लिए ही हम बदल जाये कैसे
ज़िन्दगी के सफ़र में जिन्होंने सहारा दिया
अब तू ही बता "आलोक " उन्हें भूल जाये कैसे
कितनी तलवारे आये मेरे गर्दन के सामने
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाये कैसे
ये इश्क तुझसे मोह्हबत करता तो हु मगर
बस एक तेरे लिए अपनों को रुलाये कैसे
_______________________________ ( आलोक पाण्डेय )
बता एक तेरे लिए ही हम बदल जाये कैसे
ज़िन्दगी के सफ़र में जिन्होंने सहारा दिया
अब तू ही बता "आलोक " उन्हें भूल जाये कैसे
कितनी तलवारे आये मेरे गर्दन के सामने
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाये कैसे
ये इश्क तुझसे मोह्हबत करता तो हु मगर
बस एक तेरे लिए अपनों को रुलाये कैसे
_______________________________ ( आलोक पाण्डेय )
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