लिखने को तो बहुत कुछ था... पर नहीं लिखा... क्यूंकि वो हमेशा कहती थी तुम्हारी तो आँखे ही बोलती है... आज सोचता हू काश लिख ही देता तो "वो ख़त तो उसके साथ रहते..."
(¯`*•.¸❤ ♥►- alok .-◄♥ ❤¸.•*´¯)
‘आलोक ’ अपने आप से कब तक लड़ा करें
जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें
दी है कसम उदास न रहने की तो बता
जब तू न हो तो ये हाल किससे बंया करे
Thursday, October 24, 2013
बोलो तुम कब आओगी
मेरा आँगन तरस रहा तेरी पायल की नाज उठाने को बोलो तुम कब आओगी इस जीवन को महकाने को नीद जरा सी आती है आँखे बस तेरे ख्वाब सजाती है मेरे सुनी बगिया की माली बोलो ना तुम कब आओगी और बताओ कब तक मेरी रातो की नीद चुराओगी बोलो ना तुम कब आओगी __________________________________ ( आलोक पाण्डेय )
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