तेरा छुप -छुप के मुझसे आँखे चुराना याद आता है
मुझे गुजरा हुआ अपना जमाना याद आता है
जब मिले थे हम पहली बार कॉलेज की कैंटीन में
तेरा वो घबराना वो शरमाना सब याद आता है
छोटी -छोटी अदाओ से तुम चुराती रही मेरे दिल को
पल भर में हसाना पल भर में रूठ जाना याद आता है
कभी बाते बनाती थी कभी किताबो में रखे ख़त छुपाती थी
कभी नाराज़ हो जाऊ जो तुझसे तो मुझको मानती थी
हकीकत जानलेवा थी की एक दिन तू लौट जाएगी
पल भर में मेरा तुझसे बिछड़ना बहुत याद आता है
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