Tuesday, November 19, 2013

सच में ऐतबार अब ना रहा



मै अपनी मोह्हबत के बड़े किस्से सुनाता था
तेरे यादो को मै हर पल गले से लगाता था

भरी रातो में जब मुझको तेरी यादे सताती तो
मै नग्मे प्यार के वही फिर से गुनगुनाता था

तेरी आगोश में सोने का जब दिल मेरा चाहे
तेरी यादो को मै अपना बिस्तर बनता था

पलट के तू नहीं आयी एक बार मिलने को
जिनको देखे बिना तुझको ना सोया जाता था

सच में ऐतबार अब ना रहा ये दोस्त तुझ पर
तू मुझे अपना बनाकर अब तक लुटे जाता था
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www.facebook.com/alok1984 ( आलोक पाण्डेय )





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