बड़ी शिद्दत से चाहा था तुझे अपना बनाने कि
मगर आ गयी तू बहकावे में जालिम ज़माने कि
बड़ी मिन्नतें मांगी बड़ा पूजा था पत्थरो को
मगर तुझको तो ख्वाबो कि दुनिया बसानी थी
बड़े हमदर्द आये यंहा पर तुझ सा नहीं देखा
तुझे एक मै ही मिला था अपना जी बहलाने को
तेरी उम्मीद का जब सारा दामन टूटता दिखे
तो कोशिस करना फिर से यंहा लौट आने कि
_____________________________
www.facebook.com/alok1984 ( आलोक पाण्डेय )
मगर आ गयी तू बहकावे में जालिम ज़माने कि
बड़ी मिन्नतें मांगी बड़ा पूजा था पत्थरो को
मगर तुझको तो ख्वाबो कि दुनिया बसानी थी
बड़े हमदर्द आये यंहा पर तुझ सा नहीं देखा
तुझे एक मै ही मिला था अपना जी बहलाने को
तेरी उम्मीद का जब सारा दामन टूटता दिखे
तो कोशिस करना फिर से यंहा लौट आने कि
_____________________________
www.facebook.com/alok1984 ( आलोक पाण्डेय )
No comments:
Post a Comment