Monday, November 18, 2013

बड़ी शिद्दत से चाहा था तुझे अपना बनाने कि

बड़ी शिद्दत से चाहा था तुझे अपना बनाने कि
मगर आ गयी तू बहकावे में जालिम ज़माने कि

बड़ी मिन्नतें मांगी बड़ा पूजा था पत्थरो को
मगर तुझको तो ख्वाबो कि दुनिया बसानी थी

बड़े हमदर्द आये यंहा  पर तुझ सा नहीं देखा
तुझे एक मै ही मिला था अपना जी बहलाने को

तेरी उम्मीद का जब सारा दामन टूटता दिखे
तो कोशिस करना फिर से यंहा लौट आने कि
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www.facebook.com/alok1984 ( आलोक पाण्डेय )

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