Thursday, November 21, 2013

लौट के आ जा तू भूल के सिकवे गीले

लौट के आ जा तू भूल के सिकवे गीले
कब तलक तू रहेगी  यु मुझसे खफा
जो खता हो गयी हमसे ये सनम
उस खता को तो अब तो तू भूल जा
बिन तेरे अब नहीं मै जी पाउँगा
अब तो चली आ ए मेरी रहनुमा

करीब रह के जो देना हो देना सजा
कबतलक यु ही तू मुझको तड़पायेगी
कैसे मेरे बिन तू भी एक पल रहपाएगी
लब तेरे जब हसे जिस ख़ुशी के लिए
मै वो ख़ुशी दे जाउंगा सदा के लिए

बस तकल्लुफ करना लौट आने कि फिर
दिल बिछा दूंगा तेरी हर एक ख़ुशी के लिए
गीत लिखना अभी जो सुरु ही किया
ये कलम रुक गयी एक तेरी याद में
ख्वाब हमने जो बुने थे चांदनी रात में
वो अब तक अधूरे है एक तेरे साथ बिन

लौट आ अब कि हो गए बहुत दिन
तेरी आँखे भी नम  होंगी मेरे बिन
भँवरे फूलो से कब तक रहेंगे जुदा
ये तो  तू भी समझती है मेरे बिन
फिर जब हम होंगे आमने सामने
तू भी बाहो में मेरे सिमट जायेगी
शारे शिकवे गीले तब मिट जायेंगे
मै तेरा जब और तू मेरी हो जायेगी
______________________ ( आलोक पाण्डेय  )






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