Saturday, November 23, 2013

मै बनू श्याम तेरा तू राधिका जो बने

मै तेरा बनू जाऊ तू मेरी बने
सफ़र रास्ते के कट जायेंगे
सामने जो अगर तू मुस्कराती रहे
नगमे मै भी कुछ गुनगुनाउ ज़रा
आँख से आँख यु ही मिलाती रहे
ना मै तनहा रहु ना तू अकेली रहे
कास हाथो में मेरे तेरा हाथ हो
कदमो से कदमो का साथ हो
फिर तो जीवन में मेरे है क्या कमी
मै बनू श्याम तेरा तू राधिका जो बने
मेरे कश्ती का जो तू किनारे बने
मै रौशन कर दू इस जंहा को फिर
मेरी अँधेरी राहो का जो तू उजाला बने.……
__________________________
 ( कुछ अंश मेरी कविता के ) - आलोक पाण्डेय 

No comments:

Post a Comment