Sunday, November 24, 2013

वो एक हसीन सपना

वो एक हसीन सपना
जिसे मै बार -२ देखना चाहता हु
जब तुम मेरे ख्वाबो में आती थी
और कहती हो
कि कहो ना मै तेरी हु
वो तेरा आना दिल पे दस्तक दे जाना
तेरे हाथो कि छुवन का वो एहसास
वो प्यार से मेरे कंधे पे सर रखना
मेरा तुमको बांहो में समेटना
तेरे उलझी हुई लटो को सुलझाना
वो तेरे मेहंदी से रचे हाथो कि लाली
वो गले में तेरी प्यारी मोतियो कि माला
तेरे माथे पे चमकती बिंदिया
वो चूड़ियो कि खनखनाहट
तेरे खामोस लब्जो को
तेरी आँखों में पढ़ना
मगर स्व्प्न का आखिरी पहर
थोड़ी उदासी दे जाता है
जब मेरे हाथो में हाथ रख के
तेरा वो मुझसे वादा लेना कि
कि मै  अँधेरी रातो में
तुम्हारे इतनी करीब होती हु
इस का जिक्र नहीं उठाओगे
सबको सुबह कि पहली किरण
सबको प्यारी लगती है
और मुझे रात का वो अँधेरा
जब तुम सपनो में मेरे करीब होती हो
और कहती हो कहो ना मै तेरी हु
________________________ (आलोक पाण्डेय  )



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