याद जब आती है तुम्हारी ज़रा सा रो लेते है
इन आँखों को अश्को से ज़रा धो लेते है
बात निकली है जुबा से तो दिल तक जायेगी
यही सोच के अक्सर रातो को हम सो लेते है
बड़ी शिद्दत से चाहा था तुम्हे अपना बनाने को
मगर तूने कह दिया एक दिन मुझको भुलाने को
इक पल में वादे टूट जायेंगे किस्मत रूठ जायेगी
तुझे अपना बनाने कि वो हसरत छूट जायेगी
मालूम ना था प्यार के रिस्ते कि डोर टूट जायेगी
जिसे हमने सबसे ज्यादा चाहा वही दिल तोड़ जायेगी
इन आँखों को अश्को से ज़रा धो लेते है
बात निकली है जुबा से तो दिल तक जायेगी
यही सोच के अक्सर रातो को हम सो लेते है
बड़ी शिद्दत से चाहा था तुम्हे अपना बनाने को
मगर तूने कह दिया एक दिन मुझको भुलाने को
इक पल में वादे टूट जायेंगे किस्मत रूठ जायेगी
तुझे अपना बनाने कि वो हसरत छूट जायेगी
मालूम ना था प्यार के रिस्ते कि डोर टूट जायेगी
जिसे हमने सबसे ज्यादा चाहा वही दिल तोड़ जायेगी
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 नवम्बर 2019 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!