जब भी पुरानी बाते जहन में आती है
साये गमो के साथ लाती है
ख्वाब मंजिल के जो दूर तलक हमने देखे
नीद खुलते ही वो सब टूट जाते है
चेहरे पे लेके झूठी मुस्कान मुस्कराना चाहा
पर आँखों से आँशु छलक ही जाते है
जानता हु मै मेरा कोई सपना अपना नहीं होगा
फिर भी आँखों में सुनहरे सपने सजाता हु
कुछ गुजरा हुआ हसीन लम्हा
तेरे साथ बिताना चाहता हु
सच बस तेरे करीब आना चाहता हु
__________________________ ( आलोक पाण्डेय )
साये गमो के साथ लाती है
ख्वाब मंजिल के जो दूर तलक हमने देखे
नीद खुलते ही वो सब टूट जाते है
चेहरे पे लेके झूठी मुस्कान मुस्कराना चाहा
पर आँखों से आँशु छलक ही जाते है
जानता हु मै मेरा कोई सपना अपना नहीं होगा
फिर भी आँखों में सुनहरे सपने सजाता हु
कुछ गुजरा हुआ हसीन लम्हा
तेरे साथ बिताना चाहता हु
सच बस तेरे करीब आना चाहता हु
__________________________ ( आलोक पाण्डेय )
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