Friday, November 15, 2013

बस तेरे करीब आना चाहता हु

जब भी पुरानी बाते जहन में आती है
साये गमो के साथ लाती है
ख्वाब मंजिल के जो दूर तलक हमने देखे
नीद खुलते ही वो सब टूट जाते है
चेहरे पे लेके झूठी मुस्कान मुस्कराना चाहा
पर आँखों से आँशु छलक ही जाते है
जानता हु मै मेरा कोई सपना अपना नहीं होगा
फिर भी आँखों में सुनहरे सपने सजाता हु
कुछ गुजरा हुआ हसीन लम्हा
तेरे साथ बिताना चाहता  हु
सच बस तेरे करीब आना चाहता हु
__________________________ ( आलोक पाण्डेय )

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