Saturday, November 16, 2013

एक माँ ही तो होती है

सारी दुनिया से प्यारी सबसे न्यारी
एक माँ ही तो होती है
जीवन के भाग दौड़ में
पथरीली राहो पे थक हार के
जब मै घर वापस आता हु
माँ के आँचल में सो जाता हु
भूख प्यास मिट जाती है
जब उसके हाथो को मै
अपने सर पे पाता हु
घर से जब भी निकलू मै
माथे को चूमा करती है
कैसा ये निस्वार्थ प्रेम है
मै अब भी सोचा करता हु
नहीं समझ सकता मै माँ
तेरे अंतरमन कि गहराई को
घर में इस देवी को छोड़ के
ना जाने क्यों पत्थर पूजा जाता है
मेरे लिए तो स्वर्ग यही है
हरपल माँ के कदमो को चूमा जाता हु
___________________________ ( आलोक पाण्डेय  )

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