लिखने को तो बहुत कुछ था... पर नहीं लिखा... क्यूंकि वो हमेशा कहती थी तुम्हारी तो आँखे ही बोलती है... आज सोचता हू काश लिख ही देता तो "वो ख़त तो उसके साथ रहते..." (¯`*•.¸❤ ♥►- alok .-◄♥ ❤¸.•*´¯) ‘आलोक ’ अपने आप से कब तक लड़ा करें जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें दी है कसम उदास न रहने की तो बता जब तू न हो तो ये हाल किससे बंया करे
Monday, December 23, 2013
Saturday, December 21, 2013
हिंदी शायरी
ये सदियो के फासले उस पे तेरा अजनबी बन के मिलना
तुम्हे क्या पता तुम्हे देखने से पहले जी भर के रोया था मै
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हा मुझे मिल गयी मेरी हर गुनाहो कि सजा
तेरे लिए सब कुछ खोया और तू भी ना मिली
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आंशु आँखों से बह रहे है तो कुछ तो ज़रूर हुआ होगा
हद से ज्यादा ख़ुशी मिली या अपना कोई रूठ गया होगा
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कितनी नाराज़गी थी तुझमे मुझसे रुख्सत के वक़्त
रोते -रोते तू मुझे अलविदा कहना भी भूल गयी
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आलोक पाण्डेय
तुम्हे क्या पता तुम्हे देखने से पहले जी भर के रोया था मै
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हा मुझे मिल गयी मेरी हर गुनाहो कि सजा
तेरे लिए सब कुछ खोया और तू भी ना मिली
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आंशु आँखों से बह रहे है तो कुछ तो ज़रूर हुआ होगा
हद से ज्यादा ख़ुशी मिली या अपना कोई रूठ गया होगा
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कितनी नाराज़गी थी तुझमे मुझसे रुख्सत के वक़्त
रोते -रोते तू मुझे अलविदा कहना भी भूल गयी
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आलोक पाण्डेय
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