Wednesday, June 4, 2014

तू है यही कंही आस पास

हादसों की दुनिया में मैंने है सब कुछ पाया
बस नहीं मिला मुझको बस एक प्यार तुम्हारा

गलियो -गलियो ढूंढा तुझको सपने भी तेरे देखे
जाने कहा गयी तुम आया ना कोई खत दुबारा

एक तेरी खातिर मैंने  जाने कितने अपने खोये
फिर भी ना हो  पाया बस एक दीदार तुम्हारा

काबा गया काशी गया हर मंदिर पे टेका माथा
टूट गयी सारी उम्मीदे फिर नहीं हुआ विश्वास

जीवन के इस भाग दौड़ में क्या खोया क्या पाया
फिर भी दिल कहता है तू है यही कंही आस पास
_______________________________

आलोक पाण्डेय

3 comments:

  1. आलोक जी मैं आपके ब्लॉक बहुत गहराई से पढता हूँ अक्सर मेरे दिल में एक ही बात आती है की कास एक बार आपसे मेरी बात हो जाती कास एक बार प्लीज अगर ऐसा हो सके तो मुझपर दया करना आलोक जी....8527004698

    ReplyDelete
  2. आलोक जी मैं आपके ब्लॉक बहुत गहराई से पढता हूँ अक्सर मेरे दिल में एक ही बात आती है की कास एक बार आपसे मेरी बात हो जाती कास एक बार प्लीज अगर ऐसा हो सके तो मुझपर दया करना आलोक जी....8527004698

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद सर आप का आभार

    ReplyDelete