Friday, December 21, 2012

बलात्कार आखिर क्यों ? क्यों की वो हमारे माँ ,बहन या बेटी नहीं ?


बलात्कार आखिर क्यों ? क्यों की वो हमारे माँ ,बहन या बेटी नहीं ? 
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क्या हम लाचार है ,बेबस या बेसहारा है .हमने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ,क्या हमे अपनी मर्ज़ी से जीने का हक़ नहीं है ,क्यों आखिर किस लिए .क्या इस लिए की हम भी किसी के माँ बहन या बेटिया है ,या बरसो पहले वाली सोच के हम एक लड़की है ,एक दिन तो हम वैसे ही अपना सब कुछ अपने माँ बाप ,भाई ,बहन ,बचपन के दोस्त सब को तो तुम्हारे लिए छोड़ देते है ,पर क्यों हमें हमसे हे वक़्त के पहले छीन लेते हो ,तुम्हारे ये चंद  पल के खुशिया हमारी ज़िन्दगी के सारी खुशियों को उन चंद पलो में तबाह कर देते है  ,क्यों नहीं सोचते की किसी दिन तुम्हारी माँ ,बहने इस घिनोने (बलात्कार ) का सिकार होंगी ,उस दिन तुम पे क्या बीतेगी ,आज जो माँ बाप सर उठा के जीते थे ,वो आज मेरे वजह से घर में मुह छिपा के रोते है ,आखिर कब मिलेगा हमे अपनी मर्ज़ी से जीने का ,हसने का अधिकार ....कैसे बताऊ मै भी जीना चाहती हु ,कुछ दिन अपनी ज़िन्दगी के ,मत छीनो मुझसे मेरी ज़िन्दगी मत छीनो ...
....................................................सच कहु तो बहुत शर्म आती है उन हैवानो पे जो ये घिनोना काम करते है .किस ने दिया उन्हें जीने का अधिकार .हम और आप जैसे लोग ,जैसे अपनी बहनों ,माँ की रक्षा करते हो वैसे ही कास तुम दुसरे के माँ ,बहनों के साथ ही ऐसा वर्ताव करते तो आज किसी माँ -बाप को अपनी बेटी को यु घुट -घुट के मरते ना देखना पड़ता और ऐसे बेटियों को बेटिया  होने पे शर्म ना महसूस होता  ....कास तुम इतने दरिन्दे ना होते ......

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