ऐ ज़िन्दगी
कभी मेरे घर भी आना
बिलकुल सीधा रास्ता है
कंही भटक ना जाना
घर पे दरवाज़ा नहीं
ना ही घर पे कोई छत होगी
खुला -२ सा आँगन होगा
ना कोई दीवार
कुछ ऐसा दिख जाये तो
समझना यही है
'आलोक ' का संसार
मेरे घर के बाहर प्यार लिखा है
तेरे आने का इंतजार लिखा है
ना मिले पता तो हवाओ से पूछ लेना
जो मिल जाये सुनसान राह
उस राह पे चली आना
पर ये ज़िन्दगी
कभी मेरे घर भी आना
घर में एक सहजादा मिलेगा
जिसे ज़िन्दगी की तलाश है
बड़ा मायूस सा ,उदास सा
मिलना उस से
उसे तुम्हारी तलाश है
ऐ ज़िन्दगी आना ज़रूर बिन तेरे ये घर
और मेरा जीवन बहुत उदास है
_______________________________ ( आलोक )
No comments:
Post a Comment