लिखने को तो बहुत कुछ था... पर नहीं लिखा... क्यूंकि वो हमेशा कहती थी तुम्हारी तो आँखे ही बोलती है... आज सोचता हू काश लिख ही देता तो "वो ख़त तो उसके साथ रहते..."
(¯`*•.¸❤ ♥►- alok .-◄♥ ❤¸.•*´¯)
‘आलोक ’ अपने आप से कब तक लड़ा करें
जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें
दी है कसम उदास न रहने की तो बता
जब तू न हो तो ये हाल किससे बंया करे
Friday, August 16, 2013
इज़हार हम से ना हुआ
इकरार तुम से ना हुआ इज़हार हम से ना हुआ
कंहा फस गया ये प्यार इन दो दिलो के दरमिया
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१ ७ /० ८ /२ ० १ ३ ( आलोक )
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