Sunday, September 29, 2013

प्यार का दीपक यु ही जगमगाते रहे

कुछ पंक्तिया मेरी कविता की
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सबसे मिलते रहे मुस्कराते रहे ,
हर दिशा से अँधेरा मिटाते  रहे
जला के दिया प्यार का दिल में
बस गले से सबको लगाते रहे

बगिया फूलो की यु ही महकती रहे
चिड़िया पेड़ो पे यु ही चहकती रहे
 हो धरा पे अँधेरा कंही भी मगर
आप जुगनू बन के जगमगाते रहे

जिदंगी की इस राह में "आलोक "
 लोग आते रहे लोग जाते रहे
रिश्ते नाते अगर है प्यार के
जब तक साथ उसे है निभाते रहे

सफ़र के दौर में आयेंगे पत्थर बहुत
पर ख्वाब जन्नत का यु ही सजाते रहे
ज़िन्दगी के सफ़र में मिले दुश्मन बहुत
कुछ दोस्त उनमे अपने याद आते रहे

क्या भला क्या बुरा जो किया सो किया
भुला के शिकवे गिले दिल मिलाते रहे
तेरे मेरे नहीं सबके जीवन में भी
प्यार का दीपक यु ही जगमगाते रहे
_______________________ ( आलोक)











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