Tuesday, October 1, 2013

तेरी यादे

ये ज़िन्दगी है कुछ अनकही सी
कभी खुशियों के सागर में डुबो देती है
कभी दुःख के सागर में छोड़ देती है
कुछ भरी कुछ खाली सी है ये ज़िन्दगी
जब भी निकालो जबाब ढूडने
थमा देती है सवालो की किताब
कुछ तुम सी है ये ज़िन्दगी
ना साथ देने का वादा करती है
ना साथ छोड़ जाने का
कितनी दूर तक चले हम साथ सफ़र में
पर कोई किनारा ना मिला
कुछ अनछुये से पहलु जब याद आते है
दिल घबरा सा जाता है ,आँखे नम हो जाती है
वो तेरा मेरा संघ हाथ पकड के चलना
वो तेरी सुबह की पहली मुस्कान
वो प्यारी -प्यारी बाते तेरी
सच आज भी लगता है की तू मेरे साथ है
यादो के भवर से निकल पाना मुमकिन नहीं
ज़िन्दगी कबतलक ना जाने रुलाएगी
अब तू नहीं पास ना ही तेरे आने की कोई आस
पर ये ज़िन्दगी तुझसे हमेशा शिकायत रहेगी
क्यों जो दिल के सबसे करीब होता है
 उस से ही तुम जुदा कर देती हो
सोचता हु की तुम्हे अपने जहन में ना लाऊ
कभी कोई तेरा जिक्र ना उठाऊ
पर कम्बक्त तेरी यादे
मुझे अकेला रहने ही कब देती है
_________________________ ( आलोक )








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