Saturday, November 2, 2013

दीपक एक जलाना तुम भी

दीपक एक जलाना तुम भी मगर प्यार और विस्वास का
उम्मीद कि किरण बनो जिनके सर पे किसी कि छाया ना हो कोशिस यही करना बस तुम किसी रोते चेहरे कि मुस्कान बनो
लग जाओ गले से बिन माँ के रोते उन बच्चो से जिन कि दीवाली एक रोटी को तरस जाती है
कुछ पल बिताओ उन बूढ़े माँ -बाप के साथ जिनकी आँखे बरसो से तुम्हे देखने को तरस जाती है
एक दिया प्रेम का वंहा जलाओ जंहा रोशनी नहीं पहुच पाती है तन ढकने के लिए उनके कुछ करो जो भूखे नंगे सड़को पे सो जाते है
ना कोई रोये भूखा बच्चा ना बेटी हो दहेज़ का शिकार ना हो माँ -बाप के आँख में आंसू कुछ ऐसा हो दिवाली का त्यौहार
चलो आओ हमसब मिल के एक दीपक ऐसा जलाये जिसकी रौशनी हर घर तक जाये दीपक अमन शांति प्यार विस्वास का _________________________
मंगलमय हो आप कि दीपावली ( आलोक पाण्डेय )

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