Friday, March 14, 2014

तब वो प्यार कंहा था

कभी -कभी मै सोचता हु पहले मै क्या था
मेरा वज़ूद क्या था
जब मुझे प्यार कि बेहद ज़रूरत थी
तब वो प्यार कंहा था
दिन भर दीवारो से बाते करने लगे
रात भर सितारो संघ जागने लगा
जब तन्हाई में हम तड़प रहे थे
तब वो प्यार कंहा था
महफ़िल सजती रहती
मगर हम सुने थे
लोगो से मिलते थे फिर भी अधूरे थे
वादा तो कर दिया उन्होंने
निभाने कि बारी आयी
तब वो प्यार कंहा था
आज तनहा ही जीने में सुकून मिलने लगा है
क्यों कि इस में ना कोई फरेब
ना कोई दगा है
अब वो हमे प्यार जताने फिर चले आये है
हमने अब भी वही कहा
जब हम मर रहे थे
तब वो प्यार कंहा था। ....... … ……

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