Friday, April 4, 2014

ख्वाब थी तुम

ना ही भुला हु ना ही भूलूंगा तुझे ए हसरत मेरी
 ख्वाब थी तुम भला ख्वाबो पे हक़ जताउ कैसे

कुछ पल के लिए साथ थी तुम खुश था मेरा जंहा
पर अब तेरे चले जाने का जिक्र सबसे बताऊ कैसे

बड़ी उम्मीदो से थामा था ख़ुशी से एक दिन तेरा दामन
अब वो दामन ही  छूट गया तो बता मुस्कराउ कैसे

हाथो में मेरे तेरा हाथ था सफ़र कितना सुहाना लगा
अब तू नहीं साथ तो अकेले उन रास्तो पे जाऊ कैसे
________________________________  ( आलोक पाण्डेय  )

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