Friday, April 4, 2014

ये खुदा कुछ पल और नसीब में दे दे

हा सजा रखे है बहुत से ख्वाब पलकों पे
कुछ पुरे हो गए तो कुछ अभी बाकि है
कुछ और दिन जीने कि चाहत है बस
उन सपनो के लिए जो मैंने अपनों के लिए देखे है
वो मेरे सारे सपने जो सिर्फ मेरे अपने है
जो प्यार मुझे मेरे पिता से मिला
जो ममता मेरी माँ ने मुझे दी
वो भाई जो हर पल मेरे साथ रहा
वो बहन कि मेरी कलाई पे राखी का प्यार
वो बचपन के दोस्त जो अब भी मेरे साथ है
उन सब को कुछ देना चाहता हु
कुछ सपनो को सच करके
क्यों कि उनलोगो ने अपने सपने तोड़ के
मेरे सपनो को हकीकत में बदला
अब मै उन्हें उनके सपने जो अधूरे है
लौटाना चाहता हु
ये खुदा कुछ पल और नसीब में दे दे
मुझे कुछ अपनों के सपने पूरा करने के लिए
_____________________________  ( आलोक पाण्डेय )

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