Tuesday, September 9, 2014

तुम आओ तो एक बार सही

सारे सपने अपने हो जायेंगे
तुम आओ तो एक बार सही

कुछ मीठी मीठी बाते होंगी
कुछ खट्टी मीठी यादे होंगी

हर खुशिया तब अपनी होंगी
तुम आओ तो एक बार सही

हर शाम सुहानी होगी तब
जब तुम करीब आ जाओगी

राते झिलमिल चाँद सितारे
खुशिया होंगी बस आँगन में

भूल के सारे शिकवे गिले
तुम आओ तो एक बार सही

मेरा मन जितना व्याकुल है
तुम भी उतनी है तड्पी होगी

एक लिए मिलन की आस पे
कैसे कितनी राते काटे होंगी

अब लौट भी आ तू ये हमदम
बिन तेरे है सब कुछ सुना सुना

एक नयी सुबह होगी फिर से
तुम आओ तो एक बार सही
____________________
@आलोक पाण्डेय



2 comments:

  1. आलोक जी आपके लिखे गहरे शब्दों को पढ़कर मैं उन शब्दों में जैसे खो सा जाता हूँ मैं आपका ब्लॉक में आते ही रंगमंच जाती है दिलो के खालिपन जैसे भर जाते है बहुत अच्छा लिखते है आप जी करता है आपके ब्लॉक को खुला रखूँ शामें रात भर....

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  2. आलोक जी आपके लिखे गहरे शब्दों को पढ़कर मैं उन शब्दों में जैसे खो सा जाता हूँ मैं आपका ब्लॉक में आते ही रंगमंच जाती है दिलो के खालिपन जैसे भर जाते है बहुत अच्छा लिखते है आप जी करता है आपके ब्लॉक को खुला रखूँ शामें रात भर....

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