Friday, August 16, 2013

इज़हार हम से ना हुआ

इकरार तुम से ना हुआ इज़हार हम से ना हुआ
कंहा फस गया ये प्यार इन दो दिलो के दरमिया
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१ ७ /० ८ /२ ० १ ३ ( आलोक )



आप का काम था मुस्कराना मुस्कराते रहे



आप का काम था मुस्कराना मुस्कराते रहे
आप आते रहे हम बुलाते रहे
आप दुनिया की भीड़ में गुम हो गए
हम आप के हाथो का कंगन घुमाते रहे

आप की आदत थी सदियों से सताने की हमे
हमको आदत थी मुस्कराने की मुस्कराते रहे
आप  आओगे लौट के एक दिन
इस धोखे में हम भी पलके बिछाते रहे

ख्वाब मंजिल का कुछ पता ही ना था
 सपनो में रोज तुम्हे हम सुलाते रहे
रूठने मानाने के इस खेल में
आप रूठे रहे हम मानते रहे

आप की खामोशिया बन गयी सदा के लिए
आलोक खुशियों आप के लिए सजाते रहे
दुःख ,दर्द ,तपन जो कुछ भी मिला आप से
सब हम अपने गले से लगाते रहे
_____________________  १ ६ /० ८ /२ ० १ ३  ( आलोक )









जो लोग कल तक हमसे मुह फेर लेते थे ना जाने अब हम पे मेहरबान क्यों है जिनका लहू खौल जाता था हमे देखके वही लोग हमे अब लहू देने के शौक़ीन क्यों है
पथ पे चलने से पहले जो बिछाते थे कांटे आज उन्हीने फूल बिछाये फिर क्यों है अगर मेरी खुशियों से उन्हें कोई वास्ता नहीं फिर वही लोग मेरे लिए पलके बिछाए क्यों है

वन्दे मातरम

( कुछ पंक्तिया मेरी कविता की )

अगर लड़ना ही है
तो आजा आमना सामना करले
यू कायर बन
ना छुप -छुप कर वार ( पाकिस्तान )
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बहनों के सिंदूर छीन
माताओ के लाल 
तू कायर है तू कायर था
जो छिप -२ करता वार
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अब की बार जो युद्ध हुआ
नामो निसा मिटा देंगे
अपनी भारत माता का
क्षेत्रफल हम और बढ़ा देंगे
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कुछ तो शर्म करो नेताओ
कब तक मोल लगाओ गे
जिन माँ के बेटे हुए शहीद
क्या उनके बेटे उन्हें लौटा पाओगे
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कुछ विदेशी ताकते बदल -२ के रास्ते
जाल हम पे बुन रही ,वार हमपे कर रही
उठो बढ़ो सब सही ,बना के एक टोलिया
दाग दो अब दुश्मनों के सर पे कुछ गोलिया
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अब ये समय नहीं है सोने का
ना वक़्त बचा अब रोने का
गोलियों की बोलिया ,गोलियों में दे ज़रा
नहीं तो कल की पीढि़यां, न चढ़ सकेंगी सीढि़या
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विधवाओ .माताओ के आसुवों में
तू बह जायेगा ' पाकिस्तान '
एक दिन तेरा सीना चिर उसपे लिख देंगे हिंदुस्तान

________________________ आलोक ( वन्दे मातरम )