एक उम्र बिता दी हमने तुमने
इस जीवन की आपा धापी में
कुछ दोस्त मिले इन राहो में
तो कुछ अपनों को खोया हमने
कुछ सपने अपने साथ चले
तो कुछ टूटे जीवन की राहो में
कुछ तनहा तनहा रात कटी
कुछ कटी दिन के उजियारो में
कुछ रिश्ते अपने साथ चले
तो कुछ अपनों ने ठुकराया भी
बुरे वक़्त पे जब सब हुए किनारे
तो कुछ गैरो ने साथ निभाया भी
मिल ही जाते है हमको अक्सर
कुछ सच्चे साथ निभाने वाले
हो सुख चाहे दुःख देते है साथ
हम सब की जीवन की राहो पर
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आलोक पाण्डेय
इस जीवन की आपा धापी में
कुछ दोस्त मिले इन राहो में
तो कुछ अपनों को खोया हमने
कुछ सपने अपने साथ चले
तो कुछ टूटे जीवन की राहो में
कुछ तनहा तनहा रात कटी
कुछ कटी दिन के उजियारो में
कुछ रिश्ते अपने साथ चले
तो कुछ अपनों ने ठुकराया भी
बुरे वक़्त पे जब सब हुए किनारे
तो कुछ गैरो ने साथ निभाया भी
मिल ही जाते है हमको अक्सर
कुछ सच्चे साथ निभाने वाले
हो सुख चाहे दुःख देते है साथ
हम सब की जीवन की राहो पर
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आलोक पाण्डेय