तेरे आने को जो शुभ घडी आ गयी
हम भी घर को अब सजाने लगे है
बात है हमारे रिश्ते कि उस डोर का
जिसको हम और तुम निभाने चले है
बाग़ जो अब तक था यंहा सुना पड़ा
उसको फूलो से अब हम मिलाने चले है
इस तिमिर का अँधेरा मुझे सताएगा क्या
आप जो मेरे ख्वाबो में अब आने लगी है
अश्क आँखों के तब से कुछ यु रुक गए
जब से आँखों में आप समाने लगी है
मेरे लब जो एक अरसो से खामोस थे
आप को मुस्कराता देख मुस्कराने लगे है
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आलोक पाण्डेय
हम भी घर को अब सजाने लगे है
बात है हमारे रिश्ते कि उस डोर का
जिसको हम और तुम निभाने चले है
बाग़ जो अब तक था यंहा सुना पड़ा
उसको फूलो से अब हम मिलाने चले है
इस तिमिर का अँधेरा मुझे सताएगा क्या
आप जो मेरे ख्वाबो में अब आने लगी है
अश्क आँखों के तब से कुछ यु रुक गए
जब से आँखों में आप समाने लगी है
मेरे लब जो एक अरसो से खामोस थे
आप को मुस्कराता देख मुस्कराने लगे है
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आलोक पाण्डेय